भारत में सर्वाधिक बिकने वाली महिला कलाकारों (Female Artists) की सूची में नाम आते हैं, जो अपने श्रोताओं के बीच व्यापक लोकप्रियता और व्यापक प्रभाव के कारण मशहूर हो गई हैं। इन कलाकारों के अद्वितीय ध्वनि, करियर की लम्बाई और संगीत के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी माहिरी के कारण, वे भारतीय संगीत की धाराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
Female Artists Of All Time In India
भारत में सभी समय की 5 सर्वश्रेष्ठ बिक्री करने वाली महिला कलाकारों का वर्णन करते हैं:
1- लता मंगेशकर:
लता मंगेशकर, भारतीय संगीत इतिहास की एक प्रमुख आवाज हैं। उन्होंने अपनी सुरीली आवाज़ के साथ गाया हुआ गाना लोगों के दिलों में बसा लिया है। उनके ध्वनि की जादूगर तालिम और अद्भुत गायन के कारण उन्हें भारतीय संगीत उद्योग में उच्च स्थान प्राप्त है।
लता मंगेशकर (28 सितंबर 1929 – 6 फ़रवरी 2022) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं, जिनका छः दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाए हैं लेकिन उनकी पहचान सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।
लता जी की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। भारत सरकार ने उन्हें ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया था।
इनकी मृत्यु कोविड से जुड़े जटिलताओं से 6 फरवरी 2022 रविवार माघ शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि वि स 2078 (पंचक) को मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुई। वे कुछ समय से बीमार थीं। उनकी महान गायकी और सुरमय आवाज के दीवाने पूरी दुनिया में हैं। प्यार से सभी उन्हें ‘लता दीदी’ कहकर पुकारते हैं। वर्ष 2001 में इन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया ।
2- अशा भोंसले:
अशा भोंसले भारतीय संगीत के महानायिका और गीतकार हैं। उनकी मधुर आवाज़ और व्यापक गायन कौशल ने उन्हें उच्च स्थान प्राप्त किया है और उन्होंने अपने संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है।
आशा भोसले का जन्म 08 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ जिले एक मराठी परिवार में हुआ। इनके पिता दिनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे, जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दी। आशा जी जब केवल 9 वर्ष की थीं, इनके पिता का स्वर्गवास हो गया। पिता के मरणोपरांत, इनका परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद मुंबई आ गया। परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय शुरू कर दिया। 1943 में इन्होंने अपनी पहली मराठी फिल्म ‘माझा बाळ’ में गीत गाया। यह गीत ‘चला चला नव बाळा…’ दत्ता डावजेकर के द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। 1948 में हिन्दी फिल्म ‘चुनरिया’ का गीत ‘सावन आया।..’ हंसराज बहल के लिए गाया। दक्षिण एशिया की प्रसिद्ध गायिका के रूप में आशा जी ने गीत गाए। फिल्म संगीत, पॉप, गज़ल, भजन, भारतीय शास्त्रीय संगीत, क्षेत्रीय गीत, कव्वाली, रवीन्द्र संगीत और नजरूल गीत इनके गीतों में सम्मिलित है। इन्होंने 14 से ज्यादा भाषाओं में गीत गाए यथा– मराठी, आसामी, हिन्दी, उर्दू, तेलगू, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी, तमिल, अंग्रेजी, रशियन, जाइच, नेपाली, मलय और मलयालम। 12000 से अधिक गीतों को आशा जी ने आवाज दी। महान गायक किशोर कुमार आशा जी के सबसे मनपसंद गायक थे।
3- अनुराधा पौडवाल:
अनुराधा पौडवाल एक उत्कृष्ट गायिका हैं, जो अपने शानदार गायन के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बॉलीवुड और हिंदी सिनेमा में अनेक लोकप्रिय गीतों को अपनी आवाज़ दी है।
डॉ. अनुराधा पौडवाल (जन्म 27 अक्टूबर 1954) हिन्दी सिनेमा की एक प्रमुख पार्श्वगायिका हैं। वे १९९० के दशक में अत्यन्त लोकप्रिय रहीं।
इन्होंने फिल्म कैरियर की शुरुआत की फ़िल्म अभिमान से, जिसमें इन्होंने जया भादुड़ी के लिए एक श्लोक गाया। यह श्लोक उन्होंने संगीतकार सचिन देव वर्मन के निर्देशन में गाया था। उसके बाद उन्होंने 1974 में अपने पति संगीतकार अरुण पौडवाल के संगीत निर्देशन में ‘भगवान समाये संसार में’ फ़िल्म में मुकेश ओर महेंद्र कपूर के साथ गाया।
अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर 1954 को कर्नाटक के उत्तर कन्नड जिले के करवार में एक कोंकणी परिवार में हुआ था। किन्तु उनका पालन-पोषण मुंबई में हुआ था। उनका विवाह अरुण पौडवाल से हुई थी जो प्रसिद्ध संगीतकार एसडी बर्मन के सहायक थे। अरुण स्वयं एक संगीतकार थे। नब्बे के दशक में अनुराधा पौडवाल अपने करियर के शिखर पर थीं, उसी समय उनके पति अरुण की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उनके एक बेटा आदित्य पौडवाल और बेटी कविता पौडवाल है।
अनुराधा ने 1973 में आई अमिताभ और जया की फिल्म ‘अभिमान’ से अपना करियर शुरू किया था जिसमें उन्होंने एक श्लोक गीत गाया था। एक समय लगभग हर फिल्म में अनुराधा का गाना होता था। लेकिन अब लंबे समय से गायन से दूर हैं। आखिरी बार उन्होंने 2006 में आई फिल्म ‘जाने होगा क्या’ में गाने गाए थे। अनुराधा ने कभी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण नहीं लिया, ये कहते हुए कि उन्होंने कई बार कोशिश की पर बात नहीं बनी। उन्होंने लताजी को सुनते सुनते और खुद घंटो अभ्यास करते करते ही अपने सुर बनाए। लता मंगेशकर अनुराधा पौडवाल के लिए भगवान से कम नहीं है, क्योंकि वह अपनी सभी सफलताओं का श्रेय लता जी को ही देती हैं। उनका कहना है कि “मैंने कई गुरुओं के सानिध्य में संगीत सीखा। लेकिन, लता जी की आवाज़ मेरे लिए एक प्रेरणा स्रोत थी जिसने एक संस्थान के रूप में मेरा मार्गदर्शन किया।” उन्होंने अन्य संगीतकारों (राजेश रोशन, जे देव, कल्याणजी आनन्दजी) के साथ भी अच्छी जोड़ी बनाई।
अनुराधा को फिल्म ‘हीरो’ के गानो की सफलता के बाद लोकप्रियता मिली और उनकी गिनती शीर्ष गायिकाओं में की जाने लगी| इस फिल्म में उन्होंने लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल के साथ जोड़ी बनाई। हीरो की सफलता के बाद इस जोड़ी ने कई और फिल्मों में सफल गाने दिए जैसे, ‘मेरी जंग’, ‘बटवारा’, ‘राम लखन’ और आखरी में ‘तेज़ाब’। इसके बाद उन्होंने टी-सीरीज़ के गुलशन कुमार के साथ हाथ मिलाया और कई नये चेहरों को बॉलीवुड में दाखिला दिलाया। इनमे से कुछ हैं उदित नारायण, सोनू निगम, कुमार सानू, अभिजीत, अनु मलिक और नदीम श्रवण।
अपनी सफलता के चरम पर उन्होंने केवल टी-सीरीज़ के साथ काम करने की घोषणा कर दी, जिसका लाभ अल्का याग्निक को मिला। अनुराधा पौडवाल ने फिल्मों से हटकर भक्ति गीतों पर ध्यान देना शुरू किया और इस क्षेत्र में बहुत से सफल भजन गाए। कुछ समय तक काम करने के बाद उन्होंने एक विश्राम ले लिया और 5 साल बाद फिर पार्श्व गायन में आ गयीं हालाँकि उनका लौटना उनके लिए बहुत सफल साबित नहीं रहा।
दि. 12 सितम्बर 2020 को उन पर दुःखों का पहाड़ तब टूटा, जब उनका पुत्र आदित्य पौडवाल किडनी की बीमारी के चलते मात्र 35 वर्ष की उम्र में चल बसा।
4- श्रेया घोषाल:
श्रेया घोषाल एक युवा और प्रतिभाशाली गायिका हैं, जिन्होंने अपनी आवाज़ के माध्यम से मिलीभगत की है। उन्होंने अपने गायन कौशल से लोगों का दिल जीता है और उन्हें विश्वसनीयता और प्रशंसा मिली है।
श्रेया घोषाल का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ। वे राजस्थान, कोटा के पास एक छोटे-से कस्बे रावतभाटा में पली-बढ़ीं। वे एक बहुत ही पढ़े-लिखे परिवार से हैं। उनके पिता भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में नाभिकीय ऊर्जा संयन्त्र इंजीनियर के रूप में भारतीय नाभिकीय ऊर्जा निगम के लिए काम करते हैं, जबकि उनकी माँ साहित्य की स्नातकोत्तर छात्रा हैं।
चार साल की उम्र से घोषाल ने हारमोनियम पर अपनी मां के साथ संगत किया। उनके माता-पिता ने उन्हें कोटा में महेशचन्द्र शर्मा के पास हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की विधिवत् शिक्षा के लिए भेजा।
बच्ची के रूप में ज़ी टीवी पर सा रे गा मा (अब सा रे गा मा पा) की चिल्ड्रेन स्पेशल एपीसोड की प्रतियोगिता का खिताब उन्होंने जीता। उस समय आज के प्रसिद्ध गायक सोनू निगम ने इस कार्यक्रम की मेजबानी की थी। कल्याणजी, जो प्रतियोगिता के निर्णायक थे, ने उनके माता-पिता को मुम्बई आने के लिए मनाया। उन्होंने 18 महीनों तक उनसे शिक्षा ली और मुम्बई की मुक्त भिडे से शास्त्रीय संगीत की तालीम को जारी रखा।
रावतभाटा के एटॉमिक एनर्जी सेण्ट्रल स्कूल (AECS) और अणुशक्तिनगर (मुम्बई) में उन्होंने पढ़ाई की। स्नातक के लिए उन्होंने SIES कॉलेज के कला संकाय में दाखिला लिया।
5- सोना मोहपात्रा:
सोना मोहपात्रा एक अद्भुत गायिका हैं, जो अपने व्यापक संगीतीय योग्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने गायन के माध्यम से विभिन्न जातियों के लोगों को आकर्षित किया है और अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है।
सोना मोहापात्र भारतीय गीतकार, संगीतकार और गायिका हैं। उनका जन्म कटक, उड़िसा में हुआ। सोना मोहपात्र मुख्य रूप से भारत में चर्चित हैं। सोना ने दुनिया भर के अनेक संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया गया है और एलबम, एकल, संगीत कार्यक्रम वेबकास्ट, संगीत विडियो बॉलीवुड फिल्मों और विज्ञापनों में चित्रित किया गया है। उनकी खुद की सामग्री के आलावा, सोना मोहपात्रा ने विशेष रूप से सफल साबित “उत्तरार्द्ध” के साथ “खौफ के साये” एवं “चलो नृत्य” और INXS, साथ, डेविड बॉवी जैसे गानों के रीमिक्स किया है।